खडिया भाषा : खडिया (खाडिया) ही ऑस्ट्रो-आशियाई भाषासमूहातील एक भाषा असून ती या समूहातील मध्यवर्ती गटात बोलली जाते. तिचे बहुतेक भाषिक बिहारच्या रांची जिल्ह्यात व ओरिसात आढळतात. खडियाच्या दोन महत्त्वाच्या बोली, धेलकी खडिया व दूध खडिया या आहेत. १९६१ च्या जनगणनेप्रमाणे खडिया भाषिकांची एकंदर संख्या १,७७,१५९ होती. खडियाला स्वत:ची लिपी नाही.
ध्वनिविचार : खडियाची ध्वनिव्यवस्था पुढीलप्रमाणे आहे :
स्वर : अ, इ, उ, ए, ओ.
व्यंजने : स्फोटक – क, ख, ग, घ, ट, ठ, ड, ढ, त, थ, द, ध, प, फ, ब, भ.
अर्धस्फोटक : च, छ, ज, झ (तालव्य).
अनुनासिक – ङ्, ञ, न, म.
पार्श्विक – ल
घर्षक – स, ह.
अर्धस्वर – य, व.
रूपविचार : खडियात नाम, सर्वनाम, क्रियापद, दर्शक क्रियाविशेषण, उद्गारवाचक, संख्यावाचक, संयोजक, वर्गदर्शक यांचा समावेश होतो. येथे फक्त नामे व क्रियापदे यांची काही वैशिष्ट्ये दिली आहेत.
नाम : नामांचे सचेतन व अचेतन असे दोन प्रकार आहेत. सचेतन नामानंतर द्विवचन व अनेकवचनांचे प्रत्यय, शब्दयोगी अव्यये व काही प्रत्यय येतात. अचेतन नामानंतर वचनदर्शक प्रत्यय येत नाही. द्विवचनदर्शक प्रत्यय-क्रियार व अनेकवचनदर्शक-की आहे.
सर्वनाम : सर्वनामे पुढीलप्रमाणे आहेत :
ए.व |
द्वि.व. |
अ.व. |
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पु.१ |
इञ् ‘मी’ |
इञ्जार् |
एले ‘आम्ही’ |
आनाङ् |
आनिङ् ‘आपण’ |
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पु.२ |
आम् ‘तू’ |
आम्बार् |
आम्पे |
पु.३ |
होकाड् |
होकियार् |
होकी ‘तो’ (जवळचा) |
उकाड् |
उकियार् |
उकी ‘हा’ |
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हंकाड् |
हंकियार् |
हंकी ‘तो’ (तिकडचा) |
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आडी |
आडकियार् |
आडकी ‘तो स्वत:’ |
ए.व |
द्वि.व. |
अ.व. |
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पु.१ |
गिल्तिञ् |
गिल्तेनाङू |
गिल्तेनिङ् |
गिल्तेजार् |
गिल्तेले |
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पु.२ |
गिल्तेम् |
गिल्तेबार् |
गिल्तेपे |
पु.३ |
गिल्ते |
गिल्तेकियार् |
गिल्तेमोय् |
शब्दसंग्रह : खडियात आर्यभाषांतून आलेले शेकडो शब्द आहेत पण एकंदर शब्दसंग्रह ऑस्ट्रिकच आहे.
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