रशियनभाषा: यूरोपच्या उत्तरेला असलेल्या इंडो-यूरोपियनांच्या स्लाव्हिक शाखेची रशियन ही सर्वांत महत्त्वाची भाषा आहे. याच शाखेत दक्षिणेकडे मॅसेडोनियन व बल्गेरियन, सर्बो-क्रोआत आणि स्लोव्हेन, तर पश्चिमेकडे चेक, सोराव, पोलाब आणि पोलिश यांचा अंतर्भाव होतो.
रशियनचे मोठी रशियन, छोटी रशियन व श्र्वेत रशियन असे तीन भाग आहेत. मोठी रशियन देशाच्या पूर्वेला व उत्तरेला पसरलेली आहे. तिचा केंद्रबिंदू मॉस्को हा असून कित्येक शतकांपासून ती एक सुंदर साहित्यिक भाषा म्हणून प्रसिद्ध आहे आणि आता तर ती एक महान ज्ञानभाषा म्हणून इंग्रजी, फ्रेंच, जर्मन यांच्या बरोबरीची ठरली आहे. साम्यवादी रशियात भाषिक धोरण जरी अतिशय उदार व वास्तव असले, तरी त्या संघराज्यातील प्रत्येक सुसंस्कृत नागरिक रशियनवर उत्तम प्रभुत्व मिळवण्यामागे असतो.
छोटी रशियन किंवा युक्रेनियन ही दक्षिणेकडची भाषा असून आता तिची एक वेगळी साहित्यिक भाषा आहे, तर श्वेत रशियन हा लोकबोलींचा एक वेगळा समूह असून त्याचीही साहित्यिक भाषा अलिकडेच अस्तित्वात आली आहे.
मात्र या तिन्ही भाषांत आकलनाची अडचण बेताचीच असून त्यांच्यातले साम्यच जास्त ठळक आहे, कारण सामान्य मूलभूत स्लाव्हिकच्या एकाच बोलीपासून त्या आलेल्या आहेत.
स्लाव्हिक भाषांवर भूमध्य समुद्री संस्कृतीचा प्रभाव ख्रिस्तोत्तर पहिल्या सहस्रकाच्या मध्यानंतरचा आहे. या भाषांच्या अस्तित्वाची दखल जरी बऱ्याच उशिरा घेण्यात आली असली, तरी त्यांचे बाह्य स्वरूप पुष्कळ अंशी आर्षच आहे. त्यामुळे प्राचीन मूळ भाषेतील आघाताचा विचार करताना रशियन, सर्बियन व बल्गेरियन रूपे भाषाभ्यासकाला साह्यभूत होतात. सर्वसामान्य स्लाव्हिकचे मूळ रूप घटित करताना मात्र या सर्व भाषांची तुलना करणेच अपरिहार्य ठरते.
वर सांगितलेला प्रदेश सोडल्यास रशियन भाषा सोव्हिएट संघराज्याच्या सर्व घटकांत आणि रशियाच्या प्रभावाखाली असलेल्या अथवा प्रभावळीतील फिनलंड, एस्टोनिया, लॅटव्हिया, लिथ्युएनिया, पोलंड, बेसारेबिया इ. आजूबाजूच्या प्रदेशांतही वापरली जाते. रशियन भाषिकांची संख्या पंचवीस कोटींच्या आसपास असून राजकीय दृष्टीने आज तिचे महत्त्व इंग्रजीच्या खालोखाल आहे.
लेखन: लेखनव्यवहारासाठी रशियन भाषा सिरिलॅक लिपीतील ३३ चिन्हांचा उपयोग करते. ती चिन्हे, त्यांची नावे, त्यांचे उच्चार व उपयोग पृष्ठ ४८७ वर दाखविल्याप्रमाणे (तेथे फक्त्त मुद्रणात वापरली जाणारी चिन्हेच दिली आहेत).
रशियन शब्द सामान्यतः एक dom, दोन strana किंवा तीन rabota अवयवांचे असतात. तीनपेक्षा अधिक अवयवांचे शब्द फार नाहीत. शब्दातील कोणत्या तरी अवयवावर परंपरागत बलाघात असतो. पण त्याचे स्थान आद्य, मध्य किंवा अंत्य असू शकते मात्र ते निश्चित असते. आघातयुक्त्त अवयवाजवळचा o किंवा a अस्पष्ट, जवळजवळ आघातहीन a सारखा होतो. हा आघात लेखनात दाखवला जात नाही : rabota रबातो ‘काम’.
व्याकरणाच्या दृष्टीने पाहता रशियन भाषा अतिशय विकारक्षम आहे.
नाम: नामात पुल्लिंग, स्त्रीलिंग, नपुसकलिंग ही तीन लिंगे, एकवचन व अनेकवचन ही दोन वचने आणि कर्तृत्व, स्वामित्व, संप्रदान, कर्म, करण व अधिकरण हे संबंध दर्शविणाऱ्या सहा विभक्त्ती आहेत.
सामान्यपणे i शेवटी असणारी नामे पुल्लिंगी, a, ya शेवटी असणारी बहुतांश स्त्रीलिंगी, तर o, ye, mya शेवटी असणारी नपुंसकलिंगी असतात.
नाम चालवण्याचा सर्वसामान्य एकएक प्रकार पुढे दिला आहे :
प्रत्ययदर्शक तक्ता
लिंग |
पुल्लिंग |
स्त्रीलिंग |
नपुंसकलिंग |
|||
वचन |
ए.व. |
अ.व. |
ए.व. |
अ.व. |
ए.व. |
अ.व. |
विभक्ती |
||||||
कर्ता |
– |
I |
a |
i |
o |
a |
स्वामित्व |
a |
ov |
i |
– |
a |
– |
संप्रदान |
U |
am |
ye |
am |
u |
am |
कर्म |
a,- |
ov,i |
u |
-,i |
o |
a |
करण |
om |
an’u |
oy(u) |
ami |
om |
ami |
अधिकरण |
ye |
ax |
ye |
ax |
ye |
Ax |
विशेषण: विशेषण हे त्याच्या विशेष्याच्या लिंग, वचन, विभक्त्तीप्रमाणे चालते. विशेषणाच्या अंत्य चिन्हाच्या जागी yeye हा प्रत्यय लावून तुलनात्मक रूप बनते. मूळ विशेषणापूर्वी samiy हा शब्द लावून श्रेष्ठत्वदर्शक रूप तयार होते, तर नपुंसकलिंगी विशेषणरूप क्रियाविशेषणाचे कार्य करते.
संख्या: ‘एक’ शिवाय इतर संख्यावाचके नामाप्रमाणे चालवली जातात. काही संख्यावाचके नमुन्यादाखल पुढे दिली आहेत.
एक |
Odin |
आठ |
vosem’ |
दुसरा |
Vtoroy |
दोन |
Dva |
नऊ |
devyat’ |
तिसरा |
Tretiy |
तीन |
Tri |
दहा |
desyat’ |
एकदा |
Raz |
चार |
t’etire |
शंभर |
sto |
दोनदा |
dva raza |
पाच |
pyat’ |
हजार |
tisyac’a |
शंभरावा |
Sotiy |
सहा |
s’yest’ |
दहा लाख |
million |
प्रत्येक वेळा |
vsyakiy raz |
सात |
sem’ |
पहिला |
perviy |
अक्षर |
नांव |
उच्चार, उपयोग इ. |
||
१ |
А |
а |
आ |
आ, मध्य स्वर, (निराघात) अ (A,a) |
२ |
Б |
б |
बे |
ब्, (शब्दांती) प् (B,b) |
३ |
В |
В |
वे |
दंतौष्ठ्य व्, (शब्दांती) फ् (V, v) |
४ |
Г |
г |
गे |
ग्, (शब्दांती) क् (G, g) |
५ |
Д |
д |
दे |
द्, (शब्दांती) त् (D, d) |
६ |
Е |
е |
ये |
य्+ए, (निराघात) अस्पष्ट ये (Ye, ye) |
७ |
Ё |
ё |
यो |
य्+ओ (नेहमी आघातयुक्त) (Yo, yo) |
८ |
Ж |
ж |
झे |
तालव्य घर्षक झ् (शब्दांती) श् (Z’, z’) |
९ |
З |
з |
क्षे |
दंत्य घर्षक झ्, (शब्दांती) स् (Z, z) |
१० |
И |
и |
ई |
पूर्व स्वर इ (I, i) |
११ |
Й |
й |
इक्रात्कोये |
इ (य्) (नेहमी स्वरानंतर) (I’, i’) |
१२ |
К |
к |
का |
क् (K, k) |
१३ |
Л |
л |
एल् |
ल् (L, l) |
१४ |
М |
м |
एम् |
म् (M, m) |
१५ |
Н |
н |
एन् |
न् (N, n) |
१६ |
О |
о |
ओ |
ओ, (निराघात) अ (O, o) |
१७ |
П |
п |
पे |
प् (P, p) |
१८ |
Р |
р |
एर् |
र् (R, r) |
१९ |
С |
с |
एस् |
स् (S, s) |
२० |
Т |
т |
ते |
त् (T, t) |
२१ |
У |
у |
ऊ |
ऊ (U, u) |
२२ |
Ф |
ф |
एफ् |
दंतौष्ठ्य फ् (F, f) |
२३ |
Х |
х |
खा |
मृदुतालव्य घर्षक खा (X, x) |
२४ |
Ц |
ц |
चे |
दंत्य अर्ध स्फोटक च् (C, c) |
२५ |
Ч |
ч |
च्ये |
तालव्य अर्ध स्फोटक च् (C’, c’) |
२६ |
Ш |
ш |
शा |
श् (S’, s’) |
२७ |
Щ |
щ |
श्चा |
श्च (S’c’, s’c’) |
२८ |
Ъ |
ъ |
त्व्योर्दिय झ्नाक |
(सूक्ष्म विरामचिन्ह, कठोर) अ, (शब्दांती) अनुच्चारित (a) |
२९ |
Ы |
ы |
इ |
इ (स्नायू आकुंचित) (I, i) |
३० |
Ь |
ь |
म्याग् किय झ्नाक |
(तालव्यीकरणाचे सूक्ष्न विरानचिन्ह, मृदू)(‘) |
३१ |
Э |
э |
ए |
ए (E, e) |
३२ |
Ю |
ю |
यु |
य+उ (Yu, yu) |
३३ |
Я |
Я |
या |
य+आ (Ya, ya) |
सर्वनाम: सर्वनामे नामाप्रमाणेच चालवली जातात.
प्रमुख सर्वनामे अशी : मी ya – आम्ही mi, तू ti – तुम्ही vi, तो on, ती ona, ते ono- ते, त्या, ती oni, स्वतः sebya यांची स्वामित्वरूपे moc, tvoi इ. होतात.
दर्शक सर्वनामे : हा, हे etot, तो, ते tot
संबंधी : जो koto, riy
प्रश्नार्थक : कोण kto, काय c’to
क्रियापद: वर्तमानकाळ प्रथमपुरुष एकवचनाच्या रूपानुसार क्रियापदाचे तीन वर्ग मानले आहेत. पहिला शेवटी yu असणारा, दुसरा u असणारा व तिसरा yom असणारा.
वर्तमान, भूत व भविष्य हे तीन काळ आणि पूर्ण व अपूर्ण (चालू) या दोन अवस्था आहेत. पुढे ‘बोलणे’ हे क्रियापद तीन काळांत चालवून दाखवले आहे.
वर्तमानकाळ
मी बोलतो |
|
ya |
Govorya |
तू बोलतोस |
|
ti |
govoris’ |
तो बोलतो |
|
on |
Govorit |
आम्ही बोलतो |
|
mi |
Govorim |
तुम्ही बोलता |
|
vi |
Govoritye |
ते बोलतात |
|
oni |
Govoryat |
भूतकाळ
मी बोललो-ले ya govorit,-la
तू बोललास-लीस ti govorit,-la
तो बोलला on govorit
ती बोलली ona govorita
आम्ही बोललो mi govoriti
तुम्ही बोलला vi govoriti
ते बोलले oni govoriti
}
त्या बोलल्या
भविष्यकाळ
रशियन भाषेत bit’ ‘असणे’ या क्रियापदाचा भविष्यकाळ तुमंत रूपापूर्वी जोडून इतर क्रियापदांचा भविष्यकाळ सिद्ध होतो.
bit चा भविष्यकाळ असा :
ya badu |
मी असीन |
ti budyes’ |
तू असशील |
on, ona, ona budyet |
तो, इ. असेल |
mi budyem |
आम्ही असू |
vi budyetye |
तुम्ही असाल |
oni budut |
ते, इ. असतील |
म्हणून govorit’ ‘बोलणे’ याची भविष्यकाळाची रूपे अशी होतील :
ya budu govorit’ |
मी बोलीन |
ti budyes’govorit’ |
तू बोलशील |
on budyet govorit’ |
तो बोलेल |
mi budyem govorit’ |
आम्ही बोलू |
vi budyetye govorit’ |
तुम्ही बोलाल |
oni budut govorit’ |
ते बोलतील |
आज्ञार्थाची रूपे एकवचनी i, i,’ व अनेकवचनी itye, itye, `tye हे प्रत्यय लावून होतात : govori ‘बोल’, govoritye ‘बोला’ इत्यादी. यांशिवाय संकेतार्थ व विध्यर्थ यांचीही वेगळी रूपे आहेत.
अपूर्णतावाचक धातुसाधित अव्यये दोन आहेत : (वर्तमान) govorya बोलत, बोलताना (भूत), govorivs’vy बोलून. यांशिवाय भूतकालवाचक धातुसाधितेही आहेत. खरे तर भूतकाळ हा एक प्रकारच्या धातुसाधितानेच बनलेला आहे.
काही शब्द व वाक्ये नमुन्यासाठी पुढे दिली आहेत.
आई |
mat’ |
कुत्रा |
sobaka |
बाप |
otyec |
मांजर |
kos’ka |
मुलगा |
sin |
पैसा |
den’gi |
मुलगी |
doc’ |
नाणे |
monyeta |
भाऊ |
brat |
चहा |
cay |
बहीण |
syestra |
दूध |
motoko |
मित्र |
drug |
हॅट |
s’lyapa |
प्रेम |
ly’ubov’ |
छत्री |
zontik |
प्रेम कर |
lyubit’ |
डोके |
golova |
गाय |
Korova |
शत्रू |
brag |
पुस्तक माझ्या टेबलावर आहे. |
Kniga dyez’it myenya stole. |
आमचा गाव उत्तरेला आहे. |
Nas’ gorod na Severe. |
आम्ही रशियन भाषा शिकतो. |
Mi izuc’ayem rusiky yazik |
मी डॉक्टरबरोबर होतो. |
Ya bil u doktora |
चौकाच्या मध्यभागी कारंजे आहे. |
Posredi skvera fontan. |
आगीशिवाय धूर नाही. |
Net dima bez ognya |
मी पत्र लिहितो आहे. |
Ya pis’u pis’ mo. |
मी पत्र लिहीत नाही. |
Ya ne pis’u pis’ ma. |
धडा झाला की आम्ही घरी जातो. |
Poslye uroka mi idyom domoi |
वादळानंतर सूर्य पुन्हा चमकतो. |
Poslye grozi snova svetit solicye. |
संदर्भ : 1. Meillet, Antoine, Les langues dans I’Europe nouvelle’ Paris, 1928.
2. Pei Mario A. The World’s Chief Languages, London, 1949.
3. Potapova, N. F. Russian, Moscow. 1954.
कालेलकर, ना. गो.
“